मैं एक अजनबी आज यह बताना चाहता हूँ की हम सब अजनबी हैं। आप सोच रहे होंगे की ये आदमी क्या बोल रहा है। आप से अनुराध है की नीचे लिखे इन पक्तियों में छुपे कुछ हकीकत को जानने के बाद शायद आप भी ऐसा ही मानने लगें।
यह मेरी पहली एक छोटी सी कोशिश है, उम्मीद है आप पसंद करेंगे।
१। पिता पुत्र से अजनबी है। पुत्र कितना भी कामयाब हो जाए पर पिता हमेशा यही सोचते हैं की अगर यह मेरी बात मंलेता तो आज और आगे होता।
२। पुत्र पिता से अजनबी है। क्योंकि वह हमेशा यह मानता हेई की अगर उस समाये पिता जी ने मेरी बात समझ ली होती तो आज में कहीं और होता।
३। इसके आगे जो सम्बन्ध दुनिया में सबसे करीबी है। वहां तो बात और गड़बड़ है।
पति पत्नी से वो भी शादी से १ साल बाद से जीवन के अंत तक यही सोचता है और शायद कबुही कभी आपने करीबी लोगों में बातें भी करता है । की यार न जाने में कुछ भी करलूं मेरी बीबी को मेरी ही बात समझ में नहीं आती। वहीँ पत्नी को आपने पति से साडी उम्र पति के कुछ आदतों को लेकर शिकायत रहती ही है जो वह अपनी सहेलियों के बीच में बोल पड़ती हेई। जैसे उनकी ऑफिस से आकर घर में कपडे कहीं भी रखने की आदत। इन्हें तो देखो बस मेरे ही हाथ का खाना पसंद नहीं आता। जब देखो दुसरे की ही तारीफ करते रहते हैं, में तो शादी से लेकर आज तक इनकी तारीफ सुनने को तरस गयी।
४। प्रेमिका को प्रेमी की देर से आने की आदत पसंद नहीं आती। प्रेमी को प्रेमिका का रोज कोफ्फे हाउस में जाने से मन करना नहीं भाता ।
५। भाई को भाई का अपनी जिंदगी के किसी पल में दखल पसंद नहीं आता।
६। भाभी नन्द में नहीं बनती और न जाने कितने किस्से हैं।
जैसे अधिकारी अपने कर्मचारी से परेशान हैं और कर्मचारी अधिकारी से।
में इन बातों से सिर्फ यह बतलाना चाहता की हम जिनके सब से करीब हैं जब हम उनकी पसंद न पसंद से ही अनजान हैं या खुद को उस हिसाब से ढालने में आसमर्थ हैं। इसका मतलब हम खुद से अपनों से अजनबी नहीं तो और क्या हैं?
जरा सोचिये................
17 comments:
पंकज मिश्रा से पता चला आपके (ब्लॉग) के बारे में। स्वागत। शुभकामनएं।
"इसका मतलब हम खुद से अपनों से अजनबी नहीं तो और क्या हैं?"
aisa hi lag raha hai ji,
kunwar ji,
bahut khoob kitna ajnabi hai khud se hi insaan...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
विचारणीय पोस्ट लिखी है।बधाई।
Ajnabi...Tum jane-pehchaane se lagte ho ....
Shubhkaamnayein,
Divya
waah .........pahli hi post zabardast sandesh deti hai........keep it up.
MOST WELCOME.
सुस्वागतम.
सबसे पहले तो आपका हिंदी ब्लॉगजगत में गर्मजोशी से स्वागत है |
आपने सही लिखा हम वाकई अपने उन खास लोगो को ही ढंग से नहीं समझ पाते जिनके साथ रहते है |
बधाई आपको हिन्दी ब्लॉग जगत में शामिल होने की :)
ह्म्म्म....
सौ बात की एक बात है ...
खुद इंसान ही इंसान से अजनबी है ...अपने आप से भी ...
सुस्वागतम ....!!
हिंदी ब्लॉगजगत में स्वागत !!
हिन्दी चिट्ठजगत में स्वागत है।
आपका स्वागत है ब्लाग जगत में ! शुरू के लगभग ४-६ माह हो सकता है उचित लेख पर उचित तारीफ न मिल पाए क्योंकि अकसर नवोदित को लोग ध्यान से नहीं पढ़ते मगर धीरे धीरे आपकी एक पहचान बन जायेगी इस आभासी दुनिया में ! आशा है नियमित लेख देते रहेंगे !आपके परिचय के लिए पंकज को हार्दिक शुभकामनायें !
पहली ही पोस्ट में धांसू बात!
बढ़िया
स्वागत है आपका इस अनूठे हिन्दी मंच पर
सुखद ।
ब्लाग जगत में एक अजनबी का दूसरे अजनबी द्वारा स्वागत है, बेहतरीन पोस्ट के लिये आभार, पंकज जी को बहुत-बहुत बधाई ।
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